इंटरनेट तथा सोशल नेटवर्किंग साइट्स
Q. इंटरनेट क्या होता है?
- इंटरनेट एक अंग्रेजी शब्द है जो अंग्रेजी के शब्द “Internetworked” से लिया गया है. हिंदी में Internet का मतलब होता है “अंतर जाल“
- .सूचनाओं के आदान प्रदान करने के लिए TCP/IP Protocol के माध्यम से दो कंप्यूटरों के बीच स्थापित सम्बन्ध को internet कहते हैं. इंटरनेट विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है
भारत में इंटरनेट
- शुरुआत 14 अगस्त 1995
- सार्वजनिक रूप से -15 अगस्त 1995 को “विदेश संचार निगम लिमिटेड” यानि VSNL द्वारा चालू किया गया।
- हम जिस इंटरनेट का उपयोग करते है वो तीन कंपनियों के माध्यम से होते हुए हम पे गुजरता है Tier 1, Tier 2, Tier 3.
- Tier 1 -कम्पनियाँ जो ऑप्टिकल फाइबर केबल का नेटवर्क समुद्र के अन्दर से पूरे विश्व भर में फैलाते
- काम -सर्वर को जोड़ कर रखना
- Tier 2 में टेलीकॉम कंपनियां जैसे आइडिया, वोडाफ़ोन, एयर टेल जैसी कंपनियां ,
- काम -ग्राहक तक इंटरनेट पहुँचाना
- Tier 3 में लोकल एरिया की छोटी छोटी कंपनियाँ आती है जैसे तिकोना तथा अन्य लोकल प्रोवाइडर इनका काम भी ग्राहक तक इंटरनेट पहुँचाना हैं
इंटरनेट का उपयोग-बैंकिंग ,शॉपिंग ,ऑनलाइन सुविधाएँ ,मनोरंजन इत्यादि
इंटरनेट का महत्त्व
- इंटरनेट से दूर-दराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले उन विद्यार्थियों के लिये भी बेहतर शिक्षा का विकल्प खोल दिया है, जिनके पास अब तक इस प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
- इंटरनेट के माध्यम से सूचना के क्षेत्र में भी एक मज़बूत क्रांति देखी गई है। अब हम इंटरनेट के माध्यम से किसी भी प्रकार की सूचना को कुछ ही मिनटों में प्राप्त कर सकते हैं।
- सूचना तक आसान पहुँच के कारण आम लोग अपने अधिकारों के प्रति भी जागरूक हुए हैं।
- सभी सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराने से सरकार की लागत में कमी हुई है
- सरकारी योजनाओं के सफल कार्यान्वयन में सहायक है।
- राजनीति एवं लोकतंत्र में नागरिकों की भागीदारी को बढ़ाने में भी मदद करता है।
- बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के अवसर प्रदान करने के सरकार के प्रयासों को भी बढ़ावा देता है।
- भारतीय समाज में सामाजिक-सांस्कृतिक लामबंदी में सहायक है।
- वर्तमान में लगभग सभी अपनी समस्याओं और प्रश्नों के लिये सर्वप्रथम गूगल पर ही सर्च करते हैं।इंटरनेट पर लगभग सभी विषयों पर बहुत सारा ज्ञान उपलब्ध है,आप कभी भी उन्हें ढूंढ सकते है
- शिक्षा में इंटरनेट के लाभ
- शिक्षा के लागत में कमी
- इंटरनेट ने शिक्षक और विद्यार्थियों के मध्य संचार को सुगम बनाने का कार्य भी किया है।
भारत में इंटरनेट की उपलब्धता के समक्ष चुनौतियाँ
- कुछ सेवाएं ऑनलाईन ही उपलब्ध है जिसके कारण डिजिटल निरक्षर लोग वो लाभ नही ले पाते
- विश्वसनीय सूचना, बुनियादी ढाँचे और डिजिटल साक्षरता की कमी से उत्पन्न होने वाला डिजिटल विभाजन (Digital Divide) सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन का कारण बन सकता है।
- डिजिटल विभाजन को पूरे भारत में बहुत एक समान नहीं है शहर और गांव में, बड़े, जवानों में, काफी अन्तर है
- वर्ष 2016 के मध्य में जारी एक रिपोर्ट में सामने आया था कि भारत में डिजिटल साक्षरता की दर 10 प्रतिशत से भी कम है।
- सामाजिक संजाल स्थल’ (social networking sites) आज के इंटरनेट का एक अभिन्न अंग है जो दुनिया में एक अरब से अधिक लोगों द्वारा उपयोग किया जाता है। यह एक ऑनलाइन मंच है जो उपयोगकर्ता को एक सार्वजनिक प्रोफाइल बनाने एवं वेबसाइट पर अन्य उपयोगकर्ताओं के साथ सहभागिता करने की अनुमति देता है।
- प्रोफाइल का उपयोग अपने विचारों को साझा करने, पहचान के लोगों या अजनबियों से बात करने में किया जाता है। उदाहरण – फेसबुक, ट्विटर आदि इस संपूर्ण प्रक्रिया में वेबसाइट पर उपलब्ध उपयोगकर्ता की निजी सूचनाएँ भी साझा हो जाती हैं।
- यह पूरी प्रक्रिया सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित होती है, जहाँ विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है।
सोशल मीडिया के सकारात्मक प्रभाव
- सोशल मीडिया दुनिया भर के लोगों से जुड़ने का एक महत्त्वपूर्ण साधन है
- वर्तमान में सोशल मीडिया कई व्यवसायियों के लिये व्यवसाय के एक अच्छे साधन के रूप में कार्य कर रहा है।
- सोशल मीडिया के साथ ही कई प्रकार के रोज़गार भी पैदा हुए हैं।
- वर्तमान में आम नागरिकों के बीच जागरूकता फैलाने के लिये सोशल मीडिया का प्रयोग काफी व्यापक स्तर पर किया जा रहा ।
सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव
- डिप्रेशन
- सोशल मीडिया साइबर-बुलिंग को बढ़ावा देता है।
- यह फेक न्यूज़ और हेट स्पीच फैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गोपनयता कि कमी
- साइबर अपराधों जैसे- हैकिंग और फिशिंग आदि का खतरा
- ऑनलाईन धोखाधड़ी का चलन
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है।
सोशल मीडिया और भारत
- सोशल मीडिया ने समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ने और खुलकर अपने विचारों को अभिव्यक्ति करने का अवसर दिया है।
- वर्तमान में भारत में तकरीबन 350 मिलियन सोशल मीडिया यूज़र हैं और अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2023 तक यह संख्या लगभग 447 मिलियन तक पहुँच जाएगी।
- वर्ष 2019 में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय उपयोगकर्ता औसतन 2.4 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। जो बाकी दुनिया से काफी कम है
- सबसे अधिक फिलीपींस (औसतन 4 घंटे) जापान में सबसे कम (45 मिनट) सोशल मीडिया का प्रयोग होता है।
- सोशल मीडिया की भूमिका सामाजिक समरसता को बिगाड़ने और सकारात्मक सोच की जगह समाज को बाँटने वाली सोच को बढ़ावा देने वाली हो गई है।
- भारत में नीति निर्माताओं के समक्ष सोशल मीडिया के दुरुपयोग को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है एवं लोगों द्वारा इस ओर गंभीरता से विचार भी किया जा रहा है।
सोशल मीडिया का दुरुपयोग
- जानकारी अनुसार फेसबुक, ट्विटर समेत कई साइटों पर बहुत आपत्तिजनक सामग्रियों के मिलने की शिकायत की गई थी
- धार्मिक भावनाओं को आहत करना अपने एक पोस्ट से
- ऐतिहासिक तथ्यों को ग़लत तरीके से प्रस्तुत करना
- गलत सूचनाओं का प्रचार प्रसार
- देश कि प्रगति में रुकावट, देश के बारे में ग़लत छवि बनाना
सोशल मीडिया और फेक न्यूज़ संबंधी नियम-कानून
- भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पहले से ही सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2008 के दायरे में आते हैं।
- यदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अदालत या कानून प्रवर्तन संस्थाओं द्वारा किसी सामग्री को हटाने का आदेश दिया जाता है तो उन्हें अनिवार्य रूप से ऐसा करना होगा।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रिपोर्टिंग तंत्र भी मौजूद हैं, जो यह पता लगाने का प्रयास करते हैं कि क्या कोई सामग्री सामुदायिक दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रही है या नहीं और यदि वह ऐसा करते हुए पाई जाती है तो उसे प्लेटफॉर्म से हटा दिया जाता है।
- भारत में फेक न्यूज़ को रोकने के लिये कोई विशेष कानून नहीं है। परंतु भारत में अनेक संस्थाएँ हैं जो इस संदर्भ में कार्य कर रही हैं-
- प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया: एक ऐसी ही नियामक संस्था है जो समाचार पत्र, समाचार एजेंसी और उनके संपादकों को उस स्थिति में चेतावनी दे सकती है यदि यह पाया जाता है कि उन्होंने पत्रकारिता के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है।
- न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन: निजी टेलीविजन समाचार और करेंट अफेयर्स के प्रसारकों का प्रतिनिधित्व करता है एवं उनके विरुद्ध शिकायतों की जाँच करता है।
- ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट काउंसिल: टीवी ब्रॉडकास्टरों के खिलाफ आपत्तिजनक टीवी कंटेंट और फर्ज़ी खबरों की शिकायत स्वीकार करती है और उनकी जाँच करती है।
कुछ तथ्य निजता के संबंध में
- वर्तमान परिदृश्य भारत को डिजिटल सेवाओं के लिये एक नवीन डिज़ाइन तैयार करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करते हैं, जिसमें व्यक्तिगत और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों का समावेश हो।
- निजता संरक्षण, डेटा संरक्षण से जुड़ा विषय है क्योंकि जब कोई व्यक्ति किसी डिजिटल पहचान द्वारा इंटरनेट माध्यम का प्रयोग करता है तो उस दौरान विभिन्न डाटाओं का संग्रह तैयार हो जाता है जिससे बड़ी आसानी से उपयोगकर्ता के निजी डाटा को प्राप्त किया जा सकता है।
- अतः डेटा संरक्षण ढाँचे के डिज़ाइन में महत्त्वपूर्ण चुनौती डिजिटलीकरण के उपयोग से दीर्घकालिक रिकॉर्ड को सुरक्षित रखना तथा इसके साथ ही गोपनीयता को बनाए रखना भी है।
- भारत में प्रभावी डेटा संरक्षण के लिये डेटा नियामकों के पदानुक्रम और एक मजबूत नियामक ढाँचे की आवश्यकता होगी, जो जटिल डिजिटल सेटअप और आम सहमति के अलावा हमारे मूल अधिकारों की रक्षा कर सके।
सोशल मीडिया के लाभ
1.सूचना का लोकतंत्रीकरण
- ज्ञान और संचार सुविधाओं का लोकतंत्रीकरण
- सूचनाओं का संरक्षण करने का नया तरीका
2.नए अवसर
- नए चिजो का प्रदर्शन अगर व्यवसाय के रूप में देखें तो कई YouTubers का उदय इस घटना का प्रमाण है।
3.व्यापक और विषम समुदाय
- भौतिक समुदायों की तुलना में ऑनलाइन समुदाय भौगोलिक रूप से बहुत व्यापक और अधिक विषम हैं।
- सभी समुदायों को अपना आयोजन करने का यहां मौका मिलता है, जो कभी अतीत में उन्हें नहीं मिलता था
4.सस्ता और आसान
- किसी भोगोलिक चीजो की आवश्कता नहीं सिर्फ आपका अपना कौशल ही काफी है
- प्रौद्योगिकी की सहायता से कोई भी व्यक्ति सक्षम, प्रामाणिक, प्रभावी और मौलिक ऑनलाइन कंटेंट तैयार कर सकता है।
5.आधिपत्य का मुकाबला
- सोशल मीडिया भी पारंपरिक खिलाड़ियों के आधिपत्य या रिवायत का मुकाबला करने के लिये एक उपकरण के रूप में कार्य करता है।
- इसने विश्व में ज्ञान का एक वैकल्पिक स्रोत प्रदान किया है, जिससे मुख्यधारा का मीडिया फर्जी खबरों और प्रचार-प्रसार के लिये गंभीर सार्वजनिक आलोचनाओं के घेरे में आ गया है।
6.दूरी समाप्त हो रही है
- सोशल मीडिया ने लोगों के बीच की दूरी को भी समाप्त करने का काम किया है।
- दोस्त और परिवार अब दूर होने के बावजूद भी व्हाट्सएप, सिग्नल, और अन्य एप के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े रहते हैं।
7.सरकार के साथ सीधा संवाद
- आज सोशल मीडिया ने आम लोगों को सरकार से सीधे बातचीत करने और सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने का अधिकार दिया है।
- आम लोग अपने सवाल या परेशानियों को रेलवे और अन्य मंत्रालयों को पोस्ट कर देते हैं, जो इन दिनों आम खबर है।
चुनौतियाँ
द्वेषपूर्ण भाषण और अफवाहें (Hate speech and Rumours)
- पिछले कुछ समय से कई मामलों में हिंसा और जान-माल की क्षति के लिये नफरत फैलाने वाले भाषण और अफवाहें ज़िम्मेदार रहे हैं।
- 2020 के दिल्ली दंगों में सोशल मीडिया पर हुए द्वेषपूर्ण भाषण की बड़ी भूमिका थी।
फेक न्यूज़
- वर्ष 2019 माइक्रोसॉफ्ट द्वारा 22 देशों में किये गए सर्वेक्षण के अनुसार, 64% से अधिक भारतीय फर्जी खबरों का सामना करते हैं।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों और व्हाट्सएप जैसी मैसेजिंग सेवाओं के माध्यम से प्रसारित एडिटेड इमेज, हेरा-फेरी वाले वीडियो और झूठे संदेशों की एक चौंका देने वाली संख्या मौजूद है जिससे गलत सूचनाओं और विश्वसनीय तथ्यों के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है।
ऑनलाइन ट्रोलिंग
- ट्रोलिंग सोशल मीडिया का नया उप-उत्पाद है।
- कई बार लोग कानून अपने हाथ में ले लेते हैं, लोगों को ट्रोल करना और धमकाना शुरू कर देते हैं जो उनके विचारों या आख्यानों से सहमत नहीं होते हैं।
- इसने किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर हमला करने वाले गुमनाम ट्रोल को भी बढ़ावा दिया है।
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