राष्ट्रपति
– राष्ट्रपति देश का संवैधानिक प्रधान होता है
– राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक होता है
– वह राष्ट्र की एकता तथा अखंडता का प्रतीक है
– वह तीनों सेनाओं का प्रमुख भी होता है
– सबंधित भाग : 5
राष्ट्रपति पद की योग्यता :
- भारत का नागरिक हो
- 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो
- लोकसभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने योग्य हो
- चुनाव के समय किसी लाभ के पद पर ना हो
- इसके अतिरिक्त, नामांकन के लिए उम्मीदवार के कम से कम 50 प्रस्तावक व 50 अनुमोदक होने चाहिए
Note : वर्तमान राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, किसी राज्य का राज्यपाल और संघ अथवा राज्य का मंत्री किसी लाभ के पद पर नहीं माना जाएगा।
राष्ट्रपति का निर्वाचन :
राष्ट्रपति के निर्वाचन में कौन कौन हिस्सा लेते हैं ?
राज्यसभा, लोकसभा और राज्यों (दिल्ली और पुद्दुचेरी भी) के विधानसभा के निर्वाचित (राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा मनोनीत सदस्य नहीं) सदस्य
राष्ट्रपति के निर्वाचन में कौन हिस्सा नहीं लेते हैं ?
आम जनता, केंद्रशासित प्रदेश (अपवाद दिल्ली और पुद्दुचेरी) के सदस्य, राज्यसभा, लोकसभा और राज्य विधानसभा के नामांकित सदस्य,विधानपरिषद के सदस्य। तथा जब कोई सभा विघटित हो गई हो तो उसके सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में मतदान नहीं कर सकते हैं
राष्ट्रपति का निर्वाचन कौन आयोजित करवाता है ?
भारत का निर्वाचन आयोग
क्या आप जानते हैं राष्ट्रपति के पद के निर्वाचन हेतु मतदान कहां किया जाता है ?
राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया :
- राष्ट्रपति का निर्वाचन सामानुपतिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है
- एक ही व्यक्ति जितनी बार चाहे राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित हो सकता है
- मतदाता को मतदान करते समय उम्मीदवारों के नाम के आगे अपनी वरीयता 1,2,3,4 आदि अंकित करनी होती है
- इस प्रकार मतदाता उम्मीदवारों की उतनी वरीयता दी सकता है जितने उम्मीदवार होते हैं
- प्रथम चरण में, प्रथम वरीयता के मतों की गणना होती है
- राष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधी विवादों का निपटारा उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाता है
- निर्वाचन अवैध होने पर उसके द्वारा किए गए कार्य अवैध नहीं होते हैं
कार्यकाल : 5 वर्ष
शपथ : भारत का मुख्य न्यायाधीश या उनकी अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय का वरिष्ठतम न्यायाधीश शपथ दिलवाता है
त्यागपत्र : उपराष्ट्रपति को
- यदि राष्ट्रपति का पद उसकी मृत्यु, त्यागपत्र, निष्कासन अथवा अन्यथा किसी कारण से रिक्त होता है तो नए राष्ट्रपति का चुनाव छः महीने भीतर करना होता है
(इस तरह से नया निर्वाचित राष्ट्रपति पद ग्रहण करने से पांच वर्ष तक अपने पद पर बना रहेगा)
- तब तक के लिए उपराष्ट्रपति नए राष्ट्रपति के निर्वाचित होने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा।
- यदि उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो तो भारत का मुख्य न्यायाधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति। करूप में कार्य करेगे
- भारत सरकार की समस्त कार्यपालिका कर्यवाई राष्ट्रपति से की हुई कहीं जाएगी।
- राष्ट्रपति को अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी अपराधिक कार्यवाही से उन्मुक्ति होती है, यहां तक कि व्यक्तिगत कृत्य से भी।
- वह गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, ना ये जेल भेजा जा सकता है।
- दो महीनों के नोटिस देने के बाद उसके कार्यकाल में उस पर उसके निजी कृत्यों के लिए अभियोग चलाया जा सकता है
राष्ट्रपति पर महाभियोग :
संविधान का उलंघन करने पर राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाकर उसे पद से हटाया जा सकता है।
- महाभियोग का आरोप संसद के किसी भी सदन में प्रारंभ किया जा सकते हैं
- इन आरोपों पर सदन के एक चौथाई सदस्यों (जिस सदन ने आरोप लगाएं हैं) के हस्ताक्षर होने चाहिए और राष्ट्रपति को 14 दिन का नोटिस देना चाहिए
- महाभियोग का प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पारित होने के पश्चात यह दूसरे सदन में भेजा जाता है
- दूसरे सदन भी अगर महाभियोग प्रस्ताव को दो तीहाई बहुमत से पारित करता है तो राष्ट्रपति को विधेयक पारित होने की तिथि से उसके पद से हटना होगा
- राष्ट्रपति के महाभियोग प्रक्रिया में संसद के दोनों सदनों के नामांकित सदस्य भी भाग लेते हैं, जिन्होंने राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लिया था।
महाभियोग प्रक्रिया में कौन भाग नहीं लेता है –
- राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्य तथा दिल्ली व पुद्दुचेरी के विधानसभाओं के सदस्य
राष्ट्रपति के अधिकार एवं कर्तव्य :
1. नियुक्ति सम्बन्धी अधिकार :
राष्ट्रपति निम्न की नियुक्ति करता है –
1. भारत का प्रधानमंत्री
2. प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रिपरिषद् के अन्य सदस्यों
3. सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों
4. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
5. राज्यों के राज्यपाल
6. मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त
7. भारत के महान्यायवादी
8. राज्यों के मध्य समन्वय के लिए अन्तर्राज्यीय परिषद् के सदस्य
9. संघीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों
10. संघीय क्षेत्रों के मुख्य आयुक्तों
11. वित्त आयोग के सदस्यों
12. भाषा आयोग के सदस्यों
13. पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों
14. अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों
15. भारत के राजदूतों तथा अन्य राजनयिकों
16. अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में रिपोर्ट देने वाले आयोग के सदस्यों आदि
2. विधायी शक्तियाँ :
राष्ट्रपति को निम्न विधायी शक्तियाँ प्राप्त है…
a. संसद के सत्र को आहूत करने, सत्रावसान करने तथा लोकसभा भंग करने संबंधी अधिकार ।
b. संसद के एक सदन में या एक साथ सम्मिलित रूप से दोनों सदनों में अभिभाषण करने की शक्ति।
c. लोकसभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् प्रथम सत्र के प्रारंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में सम्मिलित रूप से संसद में अभिभाषण करने की शक्ति।
d. संसद द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद ही कानून बनता है।
e. संसद में निम्न विधेयक को पेश करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सहमति आवश्यक है—
- नये राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्य के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन संबंधी विधेयक
- धन विधेयक [अनुच्छेद-110]
- संचित निधि में व्यय करने वाले विधेयक [अनुच्छेद-117(3)]
- ऐसे कराधान पर, जिसमें राज्य-हित जुड़े हैं, प्रभाव डालने वाले विधेयक।
- राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बन्धन लगाने वाले विधेयक। [अनुच्छेद-304]
f. यदि किसी साधारण बिधेयक पर दोनों सदनों में कोई असहमति है तो उसे सुलझाने के लिए राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकता है (अनुच्छेद-108)।
नोट : किसी अनुदान की मांग राष्ट्रपति की सिफारिश पर ही की जाएगी, अन्यथा नहीं
3. संसद सदस्यों के मनोनयन का अधिकार :
जब राष्ट्रपति को यह लगे कि लोकसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय के व्यक्तियों का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है, तब वह उस समुदाय के दो व्यक्तियों को लोकसभा के सदस्य के रूप में नामांकित कर सकता है (अनु. 331) | इसी प्रकार वह कला, साहित्य पत्रकारिता. विज्ञान तथा सामाजिक कार्यों में पर्याप्त अनुभव एवं दक्षता रखने वाले 12 व्यक्तियों को राज्यसभा में नामजद कर सकता है (अनु. 80(3))।
4. अध्यादेश जारी करने की शक्ति :
- संसद के स्थगन के समय अनुच्छेद 123 के तहत अध्यादेश जारी कर सकता है, जिसका प्रभाव संसद के अधिनियम के समान होता है।
- इसका प्रभाव संसद सत्र के शुरू होने के छह सप्ताह तक रहता है।
- परन्तु, राष्ट्रपति राज्य सूची के विषयों पर अध्यादेश नहीं जारी कर सकता, जब दोनों सदन सत्र में होते हैं, तब राष्ट्रपति को यह शक्ति नहीं होती है।
5. सैनिक शक्ति :
सैन्य बलों की सर्वोच्च शक्ति राष्ट्रपति में सन्निहित है।
6. राजनैतिक शक्ति :
- दूसरे देशों के साथ कोई भी समझौता या संधि राष्ट्रपति के नाम से की जाती है।
- राष्ट्रपति विदेशों के लिए भारतीय राजदूतों की नियुक्ति करता है एवं भारत में विदेशों के राजदूतों की नियुक्ति का अनुमोदन करता है।
7. क्षमादान की शक्ति :
संविधान के अनुच्छेद-72 के अन्तर्गत राष्ट्रपति को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराये गये किसी व्यक्ति के दण्ड को क्षमा करने, उसका प्रविलम्बन, परिहार और लघुकरण की शक्ति प्राप्त है।
- क्षमा में दण्ड और बंदीकरण दोनों हटा दिया जाता है तथा दोषी को पूर्णतः मुक्त कर दिया जाता है ।
- लघुकरण में दण्ड के स्वरूप को बदलकर कम कर दिया जाता है, जैसे मृत्युदंड का लघुकरण कर कठोर या साधारण कारावास में परिवर्तित करना।
- परिहार में दंड की प्रकृति में परिवर्तन किए बिना उसकी अवधि कम कर दी जाती है। जैसे 5 वर्ष के कठोर कारावास को 1 वर्ष के कठोर कारावास में परिहार करना।
- प्रविलंबन में किसी दंड पर (विशेषकर मृत्युदंड) रोक लगाना है ताकि दोषी व्यक्ति क्षमा याचना कर सके।
- विराम में किसी दोषीं के सजा को विशेष स्थिति में कम कर दिया जाता है जैसे गर्भवती स्त्री की सजा को कम कर देना।
नोट : जब क्षमादान की पूर्व याचिका राष्ट्रपति ने रद्द कर दी हो, तो दूसरी याचिका नहीं दायर की जा सकती।
8. राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ:
आपातकाल से संबंधित उपबन्ध भारतीय संविधान के भाग-18 के अनुच्छेद-352 से 360 के अन्तर्गत मिलता है। मंत्रिपरिषद् के परामर्श से राष्ट्रपति तीन प्रकार के आपात लागू कर सकता है—
- युद्ध या बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण लगाया गया आपात (अनुच्छेद-352)
- राज्यों में सांविधानिक तंत्र के विफल होने से उत्पन्न आपात (अनुच्छेद-356) (अर्थात् राष्ट्रपति शासन)
- वित्तीय आपात (अनुच्छेद-360) (न्यूनतम अवधि-दो माह)।
9. राष्ट्रपति किसी सार्वजनिक महत्व के प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय से अनुच्छेद 143 के अधीन परामर्श ले सकता है, लेकिन वह यह परामर्श मानने के लिए बाध्य नहीं है।
10. राष्ट्रपति की किसी विधेयक पर अनुमति देने या न देने के निर्णय लेने की सीमा का अभाव होने के कारण राष्ट्रपति जेबी वीटो का प्रयोग कर सकता है, क्योंकि अनुच्छेद-111 केवल यह कहता है कि यदि राष्ट्रपति विधेयक लौटाना चाहता है, तो विधेयक को उसे प्रस्तुत किये जाने के बाद यथाशीघ्र लौटा देगा।
जेबी वीटो शक्ति का प्रयोग का उदाहरण है, 1986 ई. में संसद द्वारा पारित भारतीय डाकघर संशोधन विधेयक, जिस पर तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने कोई निर्णय नहीं लिया। तीन वर्ष पश्चात्, 1989 ई. में अगले राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण ने इस विधेयक को नई राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के पास पुनर्विचार हेतु भेजा परंतु सरकार ने इसे रद्द करने का फैसला लिया।
भारत में राष्ट्रपति निम्नलिखित आयोगों के प्रतिवेदन और सिफारिशों को संसद के पटल पर रखवाता है –
- वित्त आयोग की सिफारिशों,
- नियंत्रक महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन,
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग एवं राष्ट्रीय जनजाति आयोग के प्रतिवेदन आदि
राष्ट्रपति से संबंधित प्रमुख अनुच्छेद :
52 : भारत के राष्ट्रपति
53 : संघ की कार्यपालिका शक्ति
54 : राष्ट्रपति का चुनाव
55 : राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका
56 : कार्यकाल
58 : राष्ट्रपति चुने जाने के लिए योग्यता
60 : शपथ
61 : राष्ट्रपति पर महाभियोग
71 : राष्ट्रपति के चुनाव संबंधी मामले
72 : राष्ट्रपति की क्षमादान, स्थगन आदि की शक्ति
85 : संसद के सत्र, सत्रावसान तथा भंग करना
123 : राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति
143 : राष्ट्रपति की सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने की शक्ति
उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति का मुख्य कार्य राज्यसभा की अध्यक्षता करना है
संबंधित अनुच्छेद : 63
प्रथम उपराष्ट्रपति : एस राधाकृष्णन
वर्तमान उपराष्ट्रपति : जगदीप धनखड़ (14वें उपराष्ट्रपति)
उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्यता :
- भारत का नागरिक हो
- 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो
- राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने योग्य हो
- चुनाव के समय किसी लाभ के पद पर ना हो
- इसके अतिरिक्त, नामांकन के लिए उम्मीदवार के कम से कम 20 प्रस्तावक व 20 अनुमोदक होने चाहिए
Note : वर्तमान राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, किसी राज्य का राज्यपाल और संघ अथवा राज्य का मंत्री किसी लाभ के पद पर नहीं माना जाएगा।
निर्वाचन प्रक्रिया :
निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
- इसमें संसद के निर्वाचित और मनोनीत दोनों सदस्य भाग लेते हैं (राष्ट्रपति के चुनाव में केवल निर्वाचित सदस्य होते हैं)
- इसमें राज्य विधान सभा के सदस्य शामिल नहीं होते हैं (राष्ट्रपति के चुनाव में विधानसभा के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं)
निर्वाचन संबंधी विवाद उच्चतम न्यायालय देखता है।
शपथ : राष्ट्रपति या उसके द्वारा नियुक्त की व्यक्ति के समक्ष
कार्यकाल : 5 वर्ष (पुनर्निवाचन के योग्य होता है)
त्यागपत्र : राष्ट्रपति को
पद से हटाना :
- उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए महाभियोग की आव्यशकता नहीं है
- उपराष्ट्रपति को राज्यसभा द्वारा संकल्प पारित कर पूर्ण बहुमत द्वारा हटाया जा सकता है।
- इसे लोकसभा की सहमति आवश्यक है
- परंतु ऐसा कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया जा सकता जब तक 14 दिन का अग्रिम नोटिस ना दिया जाए।
उपराष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य :
- वह राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करता है
- वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में अधिकतम छः महीने की अवधि तक कार्य कर सकता है
- राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते समय उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की सारी शक्तियां, उपलब्धियां, भत्ते और विशेषाधिकार प्राप्त होता है
- कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के दौरान उप राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य नहीं करता है तथा राज्यसभा के सभापति के वेतन एवं भत्ते का हकदार नहीं होता है
- इस अवधि में उसके कार्यों का निर्वाह उप सभापति करता है
जब पद पर रहते हुए दो राष्ट्रपति जाकिर हुसैन तथा अली अहमद का निधन हुआ तो तत्कालीन उप राष्ट्रपति क्रमशः वी वी गिरी एवं बी डी जाती ने बतौर राष्ट्रपति कार्य किया।
उपराष्ट्रपति से संबंधित प्रमुख अनुच्छेद :
63 : भारत के उपराष्ट्रपति
64 : उपराष्ट्रपति का राज्यों की परिषद का पदेन सभापति होना
66 : उपराष्ट्रपति का चुनाव
67: कार्यकाल
69 : शपथ