भारत में शिक्षा का विकास


आधुनिक भारत में शिक्षा का विकास ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल से शुरू हुआ। वर्ष 1781 में तत्कालीन गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स के द्वारा कलकत्ता में एक मदरसा की स्थापना की गई। इसके बाद वर्ष 1791 में बनारस में जोनाथन डंकन ने एक संस्कृत कॉलेज की स्थापना की। इसी तरह भारत में शिक्षा के महत्व को समझते हुए वर्ष 1813 के एक्ट में शिक्षा के लिए 1 लाख रुपये सालाना अनुदान का प्रावधान किया गया। इसके पश्चात मैकाले शिक्षा पद्धती, वुड्स डिस्पेच, हंटर शिक्षा आयोग आदि द्वारा समय समय पर भारत में शिक्षा के तत्कालीन आव्यशकताओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न आयोगों का गठन किया गया तथा विभिन्न शिक्षा निति लागू की गई।

1781 : वारेन हेस्टिंग्स द्वारा कलकत्ता मदरसा की स्थापना

1791 : बनारस में संस्कृत कॉलेज की स्थापना ( जोनाथन डंकन द्वारा )

1800 : फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना ( वेलेजली द्वारा )

1813 :  भारतीय शिक्षा के प्रसार के लिए 1 लाख रूपए सालाना अनुदान का प्रावधान

1835 :  मैकाले शिक्षा पद्धती ( वायसराय – विलियम बेंटिक )
– शिक्षा का माध्यम : अंग्रजी
– इसमें डाउनवार्ड फिल्ट्रेशन थ्योरी या विप्रवेशन के सिद्धांत को  अपनाया गया।  जिसके अनुसार ऊपर स्तर पर अंग्रेजी भाषा के माध्यम से पाश्चात्य शिक्षा का प्रसार किया जाएगा और यह अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त भारतीय निचले स्तर पर पाश्चात्य शिक्षा का प्रसार करेंगे। 

1854 : वुड्स डिस्पेच ( भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा )
– शिक्षा का माध्यम : अंग्रेजी भाषा + भारतीय भाषा
– निचले स्तर पर – भारतीय भाषा
  मध्य स्तर  पर – अंग्रेजी एवं भारतीय भाषा
  उच्च स्तर – अंग्रजी भाषा
– लोक शिक्षा विभाग का गठन ( शिक्षा के उच्च स्तर निरिक्षण के लिए ( पांच प्रांतों में ))
– लन्दन विश्वविद्यालय के मॉडल पर भारत के प्रेसीडेंसी नगरों में विश्वविद्यालय के गठन की अनुशंसा की गई।
 इसके तहत 1857 में कलकत्ता, मद्रास, बम्बई में विश्वविद्यालय की  स्थापना 
– पाश्चात्य साहित्य की पुस्तकों का अनुवाद भारतीय भाषाओं  में कराने तथा देशी भाषाओं के लेखकों को पुरस्कृत करने का प्रस्ताव
– शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए ट्रेनिंग स्कूल  स्थापना की अनुशंसा
– तकनिकी  शिक्षा तथा स्त्री शिक्षा के प्रोत्साहन की अनुशंसा
– शिक्षा के विकास में निजी उद्यमों को प्रोत्साहित किया गया

1882 : हण्टर शिक्षा आयोग  ( शिक्षा में अव्यवस्था की जांच के लिए )
– आयोग का सुझाव क्षेत्र केवल प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षा तक हे सीमित था।
– हाई स्कूल में दो प्रकार की शिक्षा की अनुशंसा – 1. साहित्यिक शिक्षा 2. व्यावसायिक एवं व्यापारिक शिक्षा  
– प्राथमिक शिक्षा का नियंत्रण स्थानीय प्रशासनिक  संस्थाओं, जिला तथा नगर बोर्डों को सौंप दिया जाए।

1882 : पंजाब विश्वविद्यालय की स्थापना।
1887 : इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना।  
1905 : बड़ौदा वह प्रथम राज्य था जिसने अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के सिद्धांत को स्वीकार किया।
चार्ल्स ग्राण्ट को आधुनिक शिक्षा का जनक कहा जाता है।

1902 : टॉमस रैले आयोग
– कार्य क्षेत्र केवल उच्च शिक्षा तथा विश्वविद्यालय तक ही सीमित था।
– इसके तहत 1904 में विश्वविद्यालय एक्ट पारित हुआ , जिसके अनुसार कलकत्ता विश्वविद्यालय  में गैर सरकारी सदस्यों की संख्या घटा दी गई।

1913 की शिक्षा नीति :
– प्रत्येक प्रान्त में विश्वविद्यालय की स्थापना की जाने की अनुशंसा की गई।
–  कस्बों में जो महाविद्यालय थें उन्हें समय आने पर अध्यापन विश्वविद्यालय बना देने का सुझाव।

1917 : सैडलर आयोग
– 12 वर्षीय स्कूली शिक्षा का सुझाव  – इसके अनुसार इंटर परीक्षा को माध्यमिक तथा विश्वविद्यालय शिक्षा के मध्य की विभाजन रेखा मानना चाहिए।
– स्नातक के लिए 3 वर्ष की शिक्षा।
– “पास” तथा “ऑनर्स” पाठ्यक्रम आरम्भ करने का सुझाव।   लड़कियों के लिए पर्दा विद्यालय स्थापित करने का सुझाव।
– इसके तहत 1922 तक 6 विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई।

1919 : भारत सरकार अधिनियम– इस अधिनियम के तहत शिक्षा को  राज्य का विषय बना दिया गया था।

1929 : हर्टोग कमीशन ( शिक्षा व्यवस्था में आई गिरावट का अध्ययन करने के लिए )
– ग्रामीण पृष्ठ्भूमि के छात्रों को महाविद्यालय शिक्षा प्राप्त करने से रोकने की अनुशंसा की गई। इसके स्थान पर उन्हें व्यवहारिक/ व्यावसायिक शिक्षा या औद्योगिक शिक्षा देने पर जोर दिया गया।  

1937 : वर्धा शिक्षा ( गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित ) योजना लाइ गई
– इसमें अध्ययन एवं उत्पादन पर बल दिया गया
– 1939 में कांग्रेस की सर्कार गिर जाने की वजह से यह योजना अधूरी रह गई।

1944  : सार्जेंट योजना – पहली बार इसमें 11 वर्ष तक के बच्चों के लिए निःशुल्क अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का सिद्धांत स्वीकार कर लिया गया।

1948 : राधाकृष्णन समिति – इसकी अनुशंसा पर 1953  में विश्वविद्यालय  अनुदान आयोग का गठन।

1964 : कोठारी आयोग
– माध्यमिक  शिक्षा को व्यावसायिक शिक्षा बनाने का सुझाव।
– शिक्षा के पुनर्निर्माण में कृषि, कृषि में अनुसन्धान तथा इससे सम्बंधित विषयों को प्राथमिकता देने की बात कही गई। 

1968 : स्वतंत्र भारत की पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति
– 6 – 14  साल के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा।
– त्रिभाषा सूत्र – जिसमें अंग्रजी और हिंदी भाषा के साथ क्षेत्रीय भाषा के विकास और विस्तार की अनुशंसा की गई थी।
– टीचर्स ट्रेनिंग की अनुशंसा।

1986 : दूसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( राजिव गाँधी के शासनकाल में )
– महिला, SC / ST , अल्पसंख्यक, विकलांगों, की शिक्षा पर जोर।
– ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड : प्राथमिक शिक्षा में सुधार के लिए।
– मुक्त विश्विद्यालयों की स्थापना।  

2 thoughts on “भारत में शिक्षा का विकास”

  1. karansinghmeena says:

    Good work

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