भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(CAG)


भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

– संबंधित अनुच्छेद – 148 – 151
– स्थापना : 26 जनवरी 1950
– संवैधानिक निकाय
– स्वतंत्र निकाय
– यह भारतीय लेखा विभाग तथा लेखा परीक्षण का मुखिया होता है। ( आम भाषा में CAG भारत तथा राज्य सरकार के व्यय तथा प्राप्ति का Audit करता है )
– देश की संपूर्ण वित्तीय व्यवस्था का नियंत्रक होता है
– यह नियंत्रण राज्य एवं केन्द्र दोनों स्तरों पर होता है
– इसे लोक वित्त का संरक्षक कहा जाता है
– नियंत्रक महालेखा परीक्षक भारतीय संविधान के तहत सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी होगा – डॉ भीमराव अम्बेडकर

नियुक्ति : राष्ट्रपति द्वारा
राष्ट्रपति के प्रसादप्रयंत पद पर नहीं रहता है
शपथ : राष्ट्रपति के सामने
त्यागपत्र : राष्ट्रपति को
कार्यकाल : 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु

हटाने की प्रक्रिया :
राष्ट्रपति द्वारा इसे उसी तरह हटाया जा सकता है, जैसे उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश को हटाया जाता है।
अर्थात संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत के साथ उसके दुर्व्यवहार या अयोग्यता पर प्रस्ताव पास कर उसे हटाया जा सकता है।

कार्यकाल के बाद नियुक्ति :
अपना पद छोड़ने के बाद किसी अन्य पद चाहे वह भारत सरकार या राज्य सरकार का हो, ग्रहण नहीं कर सकता 

वेतन : उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश के बराबर

नियंत्रक महालेखा परीक्षक के कार्यकाल के प्रशासनिक व्यय भारत की संचित निधि पर भारित होंगे। इन पर संसद में मतदान नहीं हो सकता

प्रमुख बिंदु :

  • CAG की सेवा शर्तों को निर्धारित करने के लिए संसद ने नियंत्रक और महालेखा परीक्षक अधिनियम 1971 पारित किए गया और इसे लेखांकन का कार्य भी सौंपा गया।
  • 1976 में पुनः CAG से लेखांकन का कार्य वापस ले लिया गया
  • CAG की सेवा शर्तें, कार्य तथा शक्तियां संसद निर्धारित करता है ना कि राष्ट्रपति
  • केन्द्र के मामले में CAG अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है तथा राष्ट्रपति उस रिपोर्ट को संसद के समक्ष रखता है
  • संसद में उस रिपोर्ट का अध्ययन लोक लेखा समिति (PAC) करती है
  • राज्य के मामले में CAG अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को देता है तथा राज्यपाल उस रिपोर्ट को विधान मंडल में रखता है  जहां विधान सभा की लोक लेखा समिति (SAC) उसका अध्ययन करती है
  • महालेखा परीक्षक केवल संसद के प्रति जिम्मेदार होता है

– प्रथम भारतीय CAG : वी नरहरी राव
– वर्तमान भारतीय CAG : गिरीश चंद्र मुर्मू (14th, 8 अगस्त 2020 से अभी तक )
– अभी तक कोई भी महिला भारत की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक नहीं बनी है।

कार्य तथा शक्तियां :

-वह भारत की संचित निधि, प्रत्येक राज्य की संचित निधि और प्रत्येक संघशक्ति प्रदेश जहां विधान सभा हो, से सभी व्यय संबंधी लेखाओं की लेखा परीक्षा करता है।

– वह भारत की संचित निधि और भारत के  लोक लेखा सहित प्रत्येक राज्य की आकस्मिक निधि और प्रत्येक राज्य के लोक लेखा से सभी व्यय की लेखा परीक्षा करता है।

– वह केन्द्र और प्रत्येक राज्य की प्राप्ति और व्यय की लेखा परीक्षा करता है।

– वह निम्नांकित प्राप्तियों और व्ययों का भी लेखा परीक्षा करता है :
a.वे सभी निकाय एवं एवं प्राधिकरण, जिन्हें केन्द्र या राज्य सरकारों से अनुदान मिलता है
b. सरकारी कंपनियां
c. जब संबद्ध नियमों द्वारा आवश्यक हो, अन्य निगमों एवं निकायों का लेखा परीक्षण

-वह राष्ट्रपति या राज्यपाल के निवेदन पर किसी अन्य प्राधिकरण के लेखाओं की भी लेखा परीक्षा करता है। उदाहरण के लिए स्थानीय निकायों की लेखा परीक्षा।

– वह संसद की लोक लेखा समिति के गाइड, मित्र और मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।

निगमों में CAG की भूमिका :

-निगम जिनकी लेखा परीक्षा पूरी तरह एवं प्रत्यक्ष तौर पर CAG द्वारा की जाती है – दामोदर घाटी निगम, एयर इंडिया, तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग आदि

– निगम जिनकी लेखा परीक्षा निजी लेखा परीक्षकों के स्वरावकी जाती है जो CAG की सलाह पर केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते है – केंद्रीय भंडारण निगम आदि

– निगम जिसकी लेखा परीक्षण में CAG  की कोई भूमिका नहीं होती है – भारतीय रिजर्व बैंक, SbI, LIC, भारतीय खाद्य नगम आदि।

संबंधित अनुच्छेद :

148 – भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

149 – नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कार्य

150 – संघ तथा राज्यों के लेखा के प्रकार

151 – अंकेक्षण प्रतिवेदन

MPPSC Prelims 2022 60 Days Program
Books & Refrences For MPPSC 2022
MPPSC 2022 New Syllabus

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *