प्रधानमंत्री एवं मंत्रिपरिषद
प्रधानमंत्री
- अनुच्छेद 75 : राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करेगा
- राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत प्राप्त पार्टी के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है,
- परंतु यदि लोकसभा में कोई भी दल स्पष्ट बहुमत में ना हो तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति अपनी वैयक्तिक विवेक स्वतंत्रता का प्रयोग कर सकता है
- इस स्थिति में राष्ट्रपति सामान्यतः सबसे बड़े दल अथवा गठबंधन के नेता को प्रधान मंत्री नियुक्त करता है और उससे 1 माह के अंदर सदन में विश्वास मत हासिल करने के लिए कहता है
– यह आवश्यक नहीं है कि एक व्यक्ति प्रधानमंत्री नियुक्त होने से पूर्व लोकसभा में अपना बहुमत सिद्ध करे।
– एक व्यक्ति को जो किसी भी सदन का सदस्य ना हो, 6 माह की लिए प्रधानमंत्री नियुक्त किया जा सकता है।
इस समयावधि में उसे लोकसभा या राज्यसभा में से किसी का भी सदस्य बनना पड़ेगा अन्यथा वह प्रधानमंत्री के पद पर नहीं बना रहेगा।
संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों में से किसी का भी सदस्य हो सकता है
प्रधानमंत्री बनने के लिए न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए ?
शपथ : राष्ट्रपति दिलवाता है
कार्यकाल : प्रधानमंत्री का कार्यकाल अधिकतम 5 वर्षों का होता है, परंतु उसका लोकसभा में विश्वास मत का बने रहना जरूरी है
- प्रधानमंत्री का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है तथा वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बना रहता है
- हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि राष्ट्रपति उसे कभी भी हटा सकता हो
- प्रधानमंत्री को जबतक लोकसभा में बहुमत है उसे राष्ट्रपति नहीं हटा सकता
- परंतु यदि वह लोकसभा में अपना बहुमत खो देने की स्थिति में भी त्यागपत्र नहीं देता है तो राष्ट्रपति उसे बर्खास्त कर सकता है।
वेतन भत्ते : संसद द्वारा निर्धारित
क्या आप जानते है : प्रधानमंत्री लोकसभा के प्रति जवाबदेह होता है ना कि राष्ट्रपति के
चूंकि प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है, अतः जब प्रधानमंत्री त्यागपत्र देता है अथवा उसकी मृत्यु हो जाती है तो मंत्रिपरिषद स्वयं ही विघटित हो जाता है और एक शून्यता उत्पन्न हो जाती है।
प्रधानमंत्री के कार्य :
- मंत्रियों को विभिन्न मंत्रालय आवंटित करता है
- मंत्री को त्यागपत्र देने अथवा राष्ट्रपति को उसे बर्खास्त करने की सलाह देता है
- मंत्रिपरिषद की बैठक की अध्यक्षता करता है
- वह पद से त्यागपत्र देकर मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर सकता है
- वह सभापटल पर सरकार की नीतियों की घोषणा करता है
- प्रधानमंत्री नीति आयोग का पदेन अध्यक्ष होता है
- वह राष्ट्रपति को निम्नलिखित अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में परामर्श देता है –
- भारत का चुनाव आयुक्त
- CAG
- संघ लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष
- भारत का महान्यायवादी
- आदि
- प्रधानमंत्री सेनाओं का राजनैतिक प्रमुख होता है
प्रथम महिला प्रधानमंत्री : इंदिरा गांधी
प्रथम गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री : मोरारजी देसाई
लोकसभा का सामना ना करने वाले प्रधानमंत्री : चौधरी चरण सिंह
अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा हटाए जाने वाले प्रथम प्रधानमंत्री : विश्वनाथ प्रताप सिंह
मंत्रिपरिषद
अनुच्छेद 74 : राष्ट्रपति को उसके कार्यों के संपादन करने हेतु एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होगा
अनुच्छेद 75 : प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर करेगा
- मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की कुल संख्या प्रधानमंत्री को शामिल करके लोकसभा की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं होगी
- मंत्री, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद धारण करेंगे
- राष्ट्रपति मंत्रियों को शपथ दिलाएगा
- मंत्रियों के वेतन एवं भत्ते संसद द्वारा निर्धारित होता है
- मंत्री बनने के लिए व्यक्ति को राज्यसभा या लोकसभा का सदस्य होना अनिवार्य है
- यदि कोई व्यक्ति मंत्री बनते समय संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं होता है, तो उसे छह महीने के अंदर संसद के किसी सदस्य बनना अनिवार्य होता है
- एक मंत्री जो संसद के किसी एक सदन का सदस्य है, दूसरे सदन की कार्यवाही में भाग लेने और बोलने का अधिकार है परन्तु वह उसी सदन में मत दे सकता है जिसका कि वह सदस्य है
मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदाई होता है
मंत्रिपरिषद का विघटन :
- लोकसभा मंत्रिपरिषद के विरूद्ध एक अविश्वास प्रस्ताव पारित करती है तो सभी मंत्रियों को जिसमें को राज्यसभा मंत्री भी शामिल हों त्यागपत्र देना पड़ता है।
- जब प्रधानमंत्री त्यागपत्र देता है अथवा उसकी मृत्यु हो जाती है तो अन्य मंत्रिपरिषद स्वयं ही विघटित हो जाता है
मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त अपने पद पर बने रहेंगे। अर्थात राष्ट्रपति किसी मंत्री को उस समय भी हटा सकता है जब मंत्रिपरिषद को लोकसभा में विश्वास मत प्राप्त है। हालांकि राष्ट्रपति किसी मंत्री को केवल प्रधानमंत्री की सलाह पर ही हटा सकता है
मंत्रिपरिषद में मंत्रियों के तीन श्रेणियां होती है –
- कैबिनेट मंत्री
- राज्य मंत्री
- उपमंत्री
कैबिनेट मंत्री –
- इनके पास केन्द्र सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालय जैसे गृह, रक्षा, वित्त व अन्य मंत्रालय होते हैं
- ये केबिनेट के सदस्य होते हैं
- इनके उत्तरदायित्व की परिधि सम्पूर्ण केन्द्र सरकार पर रहती है
राज्य मंत्री –
- इनको मंत्रालयों का स्वतंत्र प्रभार दिया जा सकता है या इन्हे कैबिनेट मंत्री के साथ सहयोगी बनाया जा सकता है
- ये कैबिनेट सदस्य नहीं होते हैं तथा तब तक केबिनेट बैठक में भाग नहीं लेते हैं जबतक उन्हें उनके मंत्रालय से संबंधित किसी कार्य हेतु विशेष रूप से आमंत्रित नहीं किया जाए
उपमंत्री –
- इन्हें मंत्रालयों का स्वतंत्र प्रभार नहीं दिया जाता है
- इन्हे कैबिनेट या राज्यमंत्रियों की सहायता के लिए नियुक्त किया जाता है
- ये कैबिनेट के सदस्य नहीं होते है तथा कैबिनेट की बैठक में भाग नहीं लेते हैं
मंत्रिमंडल –
- यह एक लघु निकाय है जिसमें 15 से 20 मंत्री होते हैं
- इसमें केवल कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं। अतः यह मंत्रिपरिषद का एक भाग है
- यह हमारी राजनैतिक – प्रशासनिक व्यवस्था में उच्चतम निर्णय लेने अली संस्था है
- यह केन्द्र सरकार की मुख्य नीति निर्धारक है
- यह केन्द्र सरकार की उच्च कार्यकारिणी है
मंत्रिमंडल सचिवालय :
मंत्रिमंडल सचिवालय मंत्रिमंडल बैठकों के लिए कार्य सूची तैयार करता है तथा मंत्रिमंडल समितियों के लिए सचिवालय सहायता भी प्रदान करता है। यह विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय स्थापित करता है ।
मंत्रालयों को वित्तीय संसाधनों का आवंटन वित्त मंत्रालय के द्वारा किया जाता है ना कि मंत्रिमंडल सचिवालय के द्वारा।
किचेन कैबिनेट (आंतरिक कैबिनेट) :
- यह कैबिनेट 15 या 20 महत्वपूर्ण मंत्रियों को मिलाकर बनती है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होता है
- यह औपचारिक रूप से निर्णय लेने वाली उच्चतम संस्था होती है
- इसमें प्रधानमंत्री अपने दो से चार प्रभावशाली, पूर्ण विश्वासी सहयोगी रखता है जिनसे वह हर समस्या की चर्चा करता है
- इसमें ना केवल कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं बल्कि इसके बाहर के भी, जैसे प्रधानमंत्री के मित्र व पारिवारिक सदस्य भी शामिल हो सकते हैं
मंत्रिमंडलीय समिति :
- कैबिनेट मंत्रीमंडल समतियों के माध्यम से ही अपना कार्य करती है
- संविधान में इसके बारे में उल्लेख नहीं है
- प्रकार – (i) स्थाई (ii) तदर्थ (अस्थाई)
- तदर्थ समितियां समय समय पर विशेष मामलों के लिए गठित की जाती है
- मंत्रिमंडलीय समितियों की सदस्य संख्या 3 से लेकर 8 तक होती है। सामान्यतः एक कैबिनेट मंत्री इसमें शामिल होते हैं
- ये ना केवल समस्याओं को हल करती हैं और कैबिनेट के विचार के लिए सुझाव देती है अपितु निर्णय भी लेती है। हालांकि कैबिनेट उनके निर्णयों की समीक्षा कर सकती है।
- प्रमुख स्थाई समिति –
- राजनीतिक मामलों संबंधी समिति (सुपर कैबिनेट)
- नियुक्ति समिति
- आर्थिक मामलों संबंधी समिति
- संसदीय मामलों संबंधी समिति
प्रमुख मंत्रिमंडलीय समिति :
- राजनीतिक मामलों के लिए मंत्रिमंडलीय समिति
- आर्थिक मामलों के लिए मंत्रिमंडलीय समिति
- कीमतों के लिए मंत्रिमंडलीय समिति
- संसदीय मामलों के लिए मंत्रिमंडलीय समिति
- नियुक्ति समिति
- सुरक्षा के लिए मंत्रिमंडलीय समिति
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मामलों के लिए मंत्रिमंडलीय समिति
- निवेश के लिए मंत्रिमंडलीय समिति
- यू.आई.डी.ए.आई (Unique Indentification Authority of India) के लिए मंत्रिमंडलीय
- आवास (Accommodation) के लिए मंत्रिमंडलीय समिति
प्रधानमंत्री तथा मंत्रिपरिषद से संबंधित प्रमुख समिति :
अनुच्छेद 74 : मंत्रिपरिषद द्वारा राष्ट्रपति को सहयोग एवं परामर्श
अनुच्छेद 75 : मंत्रियों से संबंधित अन्य प्रावधान
अनुच्छेद 77 : भारत सरकार द्वारा कार्यवाहियों का संचालन
अनुच्छेद 78 : राष्ट्रपति को सूचनाएं प्रदान करने से संबंधित प्रधानमंत्री के दायित्व
भारतीय शासन अधिनियम 1919 एवं 1935
संविधान सभा
राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति
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