सूचना आयोग (Information Commission)


केंद्रीय सूचना आयोग

यह केन्द्र सरकार एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के अधीन कार्यरत कार्यालयों, वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों आदि के बारे में शिकायतों की सुनवाई तथा जांच करता है।

-स्थापना : 12 अक्टूबर 2005 (केन्द्र सरकार द्वारा)
– यह संवैधानिक निकाय नहीं है( क्योंकि इसकी स्थापना सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के धारा- 12 के अन्तर्गत शासकीय राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से की गई थी)

संबंधित मंत्रालय : कार्मिक मंत्रालय
मुख्यालय : नई दिल्ली
सूचना का अधिकार लागू करने वाला प्रथम देश : स्वीडन (1766)

क्या आप जानते हैं –
भारत में सूचना का अधिकार लागू करने वाला प्रथम राज्य कौन था?

संरचना : 1 मुख्य आयुक्त + सूचना आयुक्त
जिनकी संख्या 10 से अधिक नहीं होनी चाहिए(वर्तमान में 6 है)

मुख्य आयुक्त तथा सूचना आयुक्त की नियुक्ति : राष्ट्रपति द्वारा – समिति की सिफारिश पर

– नियुक्ती करने वाली समिति के सदस्य :
प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता, एक केबिनेट मंत्री(प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत)
Note: विपक्ष का नेता ना होने पर विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी का नेता

आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य की अर्हता :
-जीवन का पर्याप्त अनुभव हो, उन्हें विधि, विज्ञान एवं तकनीकी, सामाजिक सेवा आदि का विशिष्ट अनुभव हो।
– संसद या किसी राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए
– राजनीतिक दल से संबंधित कोई लाभ का पद नहीं हो
– कोई लाभ का व्यापार या उधम भी करते हों

मुख्य तथा अन्य सूचना आयुक्त के कार्यकाल एवं सेवा शर्तें : केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित – 3 वर्ष 
– पुनः नियुक्ति की पात्रता नहीं होती है
– वेतन भत्ते केन्द्र सरकार निर्धारित करेगी
– त्यागपत्र : राष्ट्रपति को

मुख्य तथा अन्य सूचना आयुक्त को पद से हटाना : राष्ट्रपति द्वारा
– दिवालिया, चरित्रहीनता, किसी अपराध का दोषी होने, शारीरिक या मानसिक रूप से असक्षम होने के आधार पर
– इसके अलावा कदाचार के आधार पर भी हटा सकता है। हालांकि इन मामलों में राष्ट्रपति मामले को जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के पास भेजते हैं।

कार्य एवं शक्तियां :

1. आयोग किसी व्यक्ति से प्राप्त निम्नलिखित जानकारी एवं शिकायतों की जांच करता है –
– जिसे चाही गई जानकारी देने से माना किया गया हो
– जिसे चाही गई जानकारी निर्धारित समय में प्राप्त न हो पाई हो
– यदि उसे लगता हो की सूचना के एवज में मांगी फिस सही नहीं है
– यदि उसे लगता है कि उसके द्वारा मांगी गई सूचना अपर्याप्त, झूठी या भ्रामक है

2. आयोग को दीवानी (सिविल) न्यायालय की शक्तियां प्राप्त है 

  •  किसी व्यक्ति को प्रस्तुत होने एवं उस पर दवाब डालने के लिए समन जारी करना
  • किसी दस्तावेज को पेश करने की अपेक्षा करना
  •  किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रति की अपेक्षा करना

3. अभिलेख के रख रखाव, प्रबंधन

4. अधिनियम के अनुपालन के संदर्भ में लोक प्राधिकारी से वार्षिक प्रतिवेदन प्राप्त करना

प्रथम सूचना आयुक्त : वजाहत हबीबुल्लाह
प्रथम महिला सूचना आयुक्त : दीपक संधू
वर्तमान सूचना आयुक्त : Y K Sinha

रिपोर्ट :

केंद्रीय सूचना आयोग – केन्द्र सरकार को रिपोर्ट सौंपता है
राज्य सूचना आयोग – राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपता है

राज्य सूचना आयोग

संबंधित राज्य सरकार के अधीन कार्यरत कार्यालयों, वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों आदि  बारे में शिकायतों एवं अपीलों की सुनवाई करना।

गठन : राज्य सरकार द्वारा
संरचना : 1 अध्यक्ष + सदस्य (अधिकतम 10)
नियुक्ति : राज्यपाल द्वारा – समिति की सिफारिश पर
नियुक्ती करने वाली समिति के सदस्य :
मुख्यमंत्री, विधान सभा में विपक्ष का नेता, केबिनेट मंत्री (मुख्यमंत्री द्वारा नामित)

जब विधानसभा में विपक्ष का नेता नहीं हो तो विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी का नेता समिति का सदस्य बनता है।

कार्यकाल : 3 वर्ष
त्यागपत्र : राज्यपाल

पद से हटाना : राज्यपाल द्वारा (केंद्रीय सूचना आयुक्त की तरह)

मध्यप्रदेश सूचना आयोग

गठन : 22 अगस्त 2005

क्या आप जानते हैं –
मध्यप्रदेश सूचना आयोग में सदस्यों की संख्या कितनी है?

मध्यप्रदेश के प्रथम सूचना आयुक्त : टी एन श्रीवास्तव
मध्यप्रदेश के वर्तमान सूचना आयुक्त : अरविंद कुमार शुक्ला

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अन्तर्गत मुख्य धारा :

धारा 12 : गठन, संरचना, नियुक्ति, योग्यता
धारा 13 : पदवधी एवं सेवा शर्तें
धारा 15 : राज्य सूचना आयोग

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