सर्वोच्च न्यायालय
- भारत की न्यायिक व्यवस्था इकहरी और एकीकृत है।
- उच्चतम न्यायालय भारत का सर्वोच्च न्यायालय है।
- यह दिल्ली में स्थित है।
संबंधित भाग : 5
संबंधित अनुच्छेद : 124 से 147
प्रथम मुख्य न्यायाधीश : एच जे कनिया
प्रथम महिला मुख्य न्यायाधीश : लीला सेठ
पहली महिला न्यायाधीश : फातिमा बीबी
वर्तमान मुख्य न्यायाधीश : धनंजय यशवंत चंद्रचूड़
संरचना : 1 मुख्य न्यायधीश + 30 अन्य न्यायाधीश
न्यायाधीश की नियुक्ति :
- राष्ट्रपति द्वारा
- मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति अन्य न्यायाधीशों एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सलाह के बाद करता है
- अन्य न्यायाधीश की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश का प्रमार्श आवश्यक होता है
न्यायाधीशों को शपथ : राष्ट्रपति दिलवाता है
त्यागपत्र : राष्ट्रपति को
न्यायाधीशों का कार्यकाल : 65 वर्ष की उम्र तक
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की अर्हता :
- भारत का नागरिक हो
- उसे किसी उच्च न्यायालय का कम से कम पांच साल के लिए न्यायाधीश होना चाहिए, या
- उसे उच्च न्यायालय या विभिन्न न्यायालयों में मिलाकर 10 वर्ष तक वकील होना चाहिए, या
- राष्ट्रपति के मत में उसे सम्मानित न्यायवादी होना चाहिए
– उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अवकाश प्राप्त करने के बाद भारत में किसी भी न्यायालय या किसी भी अधिकारी के सामने वकालत नहीं कर सकते हैं।
– मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति लेकर, दिल्ली के अतिरिक्त अन्य किसी स्थान पर सर्वोच्च न्यायालय की बैठक बुला सकता है। अबतक हैदराबाद और श्रीनगर में इस प्रकार की बैठकें आयोजित की जा चुकी है।
पद से हटाना : महाभियोग द्वारा
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को साबित कदाचार तथा असमर्थता के आधार पर संसद के प्रत्येक संसद में विशेष बहुमत से पारित समावेदन के आधार पर राष्ट्रपति के द्वारा हटाए जा सकते हैं।
- निष्कासन प्रस्ताव 100 सदस्यों (लोकसभा में) या 50 सदस्यों (राज्यसभा में) द्वारा हस्ताक्षर के बाद अध्यक्ष/सभापति को दिया जाता है
- अध्यक्ष/सभापति जांच के लिए तीन सदस्य की समिति गठित करता है
- समिति के सदस्य – मुख्य न्यायाधीश या उच्चतम न्यायालय का अन्य न्यायाधीश, किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश और प्रतिष्ठित न्यायवादी
वेतन तथा भत्ते :
- न्यायाधीशों के वेतन भातों का निर्धारण संसद द्वारा किया जाता है
- वित्तीय आपातकाल के दौरान इसे कम किया जा सकता है
तदर्थ न्यायाधीश :
जब कभी कोरम पूरा करने में स्थाई न्यायाधीशों की संख्या कम हो रही हो तो मुख्य न्यायाधीश किसी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को तादर्थ न्यायाधीश नियुक्त करता है
उच्चतम न्यायालय की शक्तियां एवं क्षेत्राधिकार :
मूल क्षेत्राधिकार :
- केन्द्र व एक या एक से अधिक राज्यों के बीच विवाद
- केन्द्र और कोई एक राज्य या अनेक राज्यों और एक या एक से अधिक राज्यों के बीच विवाद
- दो या दो से अधिक राज्यों के बीच विवाद
अपीलीय क्षेत्राधिकार :
- इसे भारत के सभी उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरूद्ध अपील सुनने का अधिकार है
- इसके अन्तर्गत 3 प्रकार के प्रकरण आते है – सांविधानिक, दीवानी तथा फौजदारी
परामर्शदात्री क्षेत्राधिकार :
राष्ट्रपति को दो श्रेणियों के मामलों में उच्चतम न्यायालय से परामर्श लेने का अधिकार है –
- सार्वजनिक महत्व के किसी मसले पर विधिक प्रश्न उठने पर
- किसी पूर्व संवैधानिक संधि, समझौते आदि मामलों पर किसी विवाद के उत्पन्न होने पर
मौलिक अधिकारों का रक्षक :
- उच्चतम न्यायालय मौलिक अधिकारों का रक्षक है
- अनुच्छेद 32 सर्वोच्च न्यायालय को अधिकार देता है कि वह मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करे
- न्यायालय मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पुच्छा और उत्प्रेषण के लेख जारी कर सकता है
पुनर्विचार संबंधी क्षेत्राधिकार :
- सर्वोच्च न्यायालय को स्वयं द्वारा दिए गए आदेश निर्णय पर पुनर्विचार करने का अधिकार है
अभिलेख न्यायालय :
- उच्चतम न्यायालय के निर्णय सब जगह साक्षी के रूप में स्वीकार किए जाएंगे और इसकी प्रामाणिकता के विषय में प्रश्न नहीं किया जाएगा
उच्चतम न्यायालय से संबंधित प्रमुख अनुच्छेद :
अनुच्छेद 124 : SC का स्थापना एवं गठन
अनुच्छेद 125 : न्यायाधीशों का वेतन
अनुच्छेद 126 : मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति
अनुच्छेद 129 : अभिलेख न्यायालय के रूप में उच्चतम न्यायालय
अनुच्छेद 131 : उच्चतम न्यायालय का क्षेत्राधिकार
अनुच्छेद 143 : राष्ट्रपति की उच्चतम न्यायालय से सलाह लेने की शक्ति
अनुच्छेद 145 : न्यायालय के नियम
अनुच्छेद 146 : उच्चतम न्यायालय के पदाधिकारी टाटा सेवक एवं व्यय इत्यादि
भारतीय शासन अधिनियम 1919 एवं 1935
संविधान सभा
राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति
प्रधानमंत्री एवं मंत्रिपरिषद
संघीय संसद (राज्यसभा तथा लोकसभा)
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